क्या है अजपाजप ?
अजपाजप '
मानव - शरीर अत्यन्त महत्त्वपूर्ण और दुर्लभ है । यदि शास्त्रके अनुसार इसका उपयोग किया जाय तो मनुष्य ब्रह्मको भी प्राप्त कर सकता है । इसके लिये शास्त्रोंमें बहुत - से साधन बतलाये गये हैं । उनमें सबसे सुगम साधन है — ' अजपाजप ' । इस साधनसे पता चलता है कि जीवपर भगवान्की कितनी असीम अनुकम्पा है । अजपाजपका संकल्प कर लेनेपर चौबीस घंटोंमें एक क्षण भी व्यर्थ नहीं हो पाता – चाहे हम जागते हों , स्वप्नमें हों या सुषुप्तिमें हों , प्रत्येक स्थितिमें ' हंसः'२ का जप श्वास क्रियाद्वारा अनायास होता ही रहता है । संकल्प कर देनेसे यह जप मनुष्यद्वारा किया हुआ माना जाता है ।
( क ) किये हुए अजपाजपके समर्पणका संकल्प -
' ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः , अद्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीयपरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे जम्बूद्वीपे .
भरतखण्डे ... भारतवर्षे .... स्थाने .... नामसंवत्सरे .... ऋतौ ... मासे .... पक्षे .... तिथौ .... दिने प्रातःकाले .... गोत्रः , शर्मा ( वर्मा गुप्तः )अहं स्तनसूर्योदयादारभ्य अद्यतनसूर्योदयपर्यन्त श्वासक्रियया भगवता कारितं ' अजपागायत्रीजपकर्म ' भगवते समर्पये । ॐ तत्सत् श्रीब्रह्मार्पणमस्तु ।
( ख ) आज किये जानेवाले अजपाजपका संकल्प - किये गये अजपाजपको भगवान्को अर्पित कर आज सूर्योदयसे लेकर कल सूर्योदयतक होनेवाले अजपाजपका संकल्प करे — ' ॐ विष्णुः ' से प्रारम्भ कर .... ' अहं ' तक बोलनेके बाद आगे कहे - अद्य सूर्योदयादारभ्य श्वस्तनसूर्योदयपर्यन्तं षट्शताधिकैकविंशतिसहस्र ( २१६०० ) संख्याकोच्छ्वासनिःश्वासाभ्यां ( हंसं सोहंरूपाभ्यां गणेशब्रह्मविष्णुमहेशजीवात्मपरमात्मगुरुप्रीत्यर्थमजपागायत्रीजपं करिष्ये ।
मानव - शरीर अत्यन्त महत्त्वपूर्ण और दुर्लभ है । यदि शास्त्रके अनुसार इसका उपयोग किया जाय तो मनुष्य ब्रह्मको भी प्राप्त कर सकता है । इसके लिये शास्त्रोंमें बहुत - से साधन बतलाये गये हैं । उनमें सबसे सुगम साधन है — ' अजपाजप ' । इस साधनसे पता चलता है कि जीवपर भगवान्की कितनी असीम अनुकम्पा है । अजपाजपका संकल्प कर लेनेपर चौबीस घंटोंमें एक क्षण भी व्यर्थ नहीं हो पाता – चाहे हम जागते हों , स्वप्नमें हों या सुषुप्तिमें हों , प्रत्येक स्थितिमें ' हंसः'२ का जप श्वास क्रियाद्वारा अनायास होता ही रहता है । संकल्प कर देनेसे यह जप मनुष्यद्वारा किया हुआ माना जाता है ।
( क ) किये हुए अजपाजपके समर्पणका संकल्प -
' ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः , अद्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीयपरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे जम्बूद्वीपे .
भरतखण्डे ... भारतवर्षे .... स्थाने .... नामसंवत्सरे .... ऋतौ ... मासे .... पक्षे .... तिथौ .... दिने प्रातःकाले .... गोत्रः , शर्मा ( वर्मा गुप्तः )अहं स्तनसूर्योदयादारभ्य अद्यतनसूर्योदयपर्यन्त श्वासक्रियया भगवता कारितं ' अजपागायत्रीजपकर्म ' भगवते समर्पये । ॐ तत्सत् श्रीब्रह्मार्पणमस्तु ।
( ख ) आज किये जानेवाले अजपाजपका संकल्प - किये गये अजपाजपको भगवान्को अर्पित कर आज सूर्योदयसे लेकर कल सूर्योदयतक होनेवाले अजपाजपका संकल्प करे — ' ॐ विष्णुः ' से प्रारम्भ कर .... ' अहं ' तक बोलनेके बाद आगे कहे - अद्य सूर्योदयादारभ्य श्वस्तनसूर्योदयपर्यन्तं षट्शताधिकैकविंशतिसहस्र ( २१६०० ) संख्याकोच्छ्वासनिःश्वासाभ्यां ( हंसं सोहंरूपाभ्यां गणेशब्रह्मविष्णुमहेशजीवात्
posted by Astro vyas @ June 10, 2020
0 Comments
0 Comments:
Post a Comment
HAR MAHADEV
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home