Saturday, 2 May 2020

राशियो का स्वरूप |


              
अथ द्वादशराशिस्वरूपमाह -

तत्रादौ मेषस्य

पुमांश्चरोऽग्निः सुदृढश्चतुष्पाद्रक्तोष्णपित्तोऽतिरवोऽद्रिरुमः
 पीतो दिनं प्राग्विषमोदयोऽल्पसङ्गप्रजो रूक्ष - नृपः समोऽजः

मेषराशि , पुरुष , चरसंज्ञक , अग्नितत्त्व , दाङ्ग , चतुष्पद , रक्तवर्ण गर्मस्वभाववाला , पित्तात्मक , अत्यन्त शब्द करने वाला ,पर्वतचारा, पीतवर्ण, दिनबली,पूर्व दिशा का स्वामी ,विषमोदय, सङ्ग में थोड़ेसन्ता कान्तिरहित, सत्रिय जाति , समाङ्ग ( तो छोटा तो बहुत बड़ा ) ऐसा है " सङ्ग में थोड़े सन्तान वाला है |

अथ वृषराशिस्वरूपमाह

वृषः स्थिरः स्त्री-क्षिति-शीत-रूक्षी याम्येद सुभू - र्वायु  निशा चतुष्पात् |
श्वेतोऽतिशब्दो विषमोदयश्च मध्यप्रजा - सङ्ग  - शुभाऽपि वैश्यः

 वृषराशि , स्थिरसंज्ञक , स्त्रीराशि , पृथ्वीतत्व , टेण्डी प्रकृति , विवर्ण , दक्षिणदिशाका स्वामी , अच्छी जमीनमें चलने वाला , वातारमक , रात्रिम बली , चतुष्पद , स्वच्छवर्ण , जोर से शब्द करनेवाला विषम उदय  वाला मामूली प्रजा सता वाला , शुभराशि , वैश्यजाति है



अथ मिथुनराशिस्वरूपमाह

 प्रत्यक् समीरः शुकमा द्विपान्ना द्वन्द्वं द्विमूनिर्विषमोदयोष्णः
मध्यप्रजासङ्ग - वनस्थ शूद्रो दीर्घस्वनः स्निग्ध - दिने तथाग्रः

 मिथुनराशि , पश्चिमदिशा का स्वामी है , और वायुताव , शुम्गाके समान हरित वर्ण , द्विपद , पुरुषराशि , द्विःस्वभावसंज्ञक , विषमोदय , गर्मप्रकृति , साधारण है सङ्ग में प्रजा , और वनचर , शूदजाति , बड़े जोरसे शब्द करनेवाला , चिकनी कान्तिवाला , दिनमें बली ,और क्रूरसंज्ञक है |


अथ कर्क राशिस्वरूपमाह

बहुप्रजासङ्गपदः कुलीरश्चरोऽङ्गना पाटल - हीनशब्दः
 शुभः कफी स्निग्ध - जलाम्बुचारी समोदयो विप्र - निशोत्तरेशः

 कर्कराशि - बहुत प्रजा संग वाला , बहुत चरण वाला , चरसंज्ञक , स्त्री राशि , पाटल ( थोड़ा लाल वर्ण ) , मन्दस्वर , शुभराशि , कफारमक , चिकना , जलतरव , जलचारी , समोदय , ब्राह्मणवर्ण , रात्रिवली , उत्तरदिशा का स्वामी , ऐसा है


अथ सिंहराशिस्वरूपमाह

पुमान् स्थिरोऽग्निर्दिन - पीत - लक्षः पित्तोष्ण - पूर्वेश - दृढश्चतुष्पात्  
समोदयो - दोघरवोऽल्पसङ्गप्रजो हरिः शैल - नृपोग्र - धूम्रः

 सिंह राशि , स्थिरसंज्ञक , अग्नितत्व , दिनबली , पीतवर्ण , कान्तिरहित , पित्तप्रकृति , गर्मस्वभाव , पूर्वदिशा का स्वामी , दृढाङ्ग , चतुष्पाद , समोदय , जोर से शन्द करने वाला , थोड़ी प्रजा है सङ्ग में जिसको ऐसा , और पर्वतचारी , क्षत्रियजाति , करसंज्ञक , धूम्रवर्ण ऐसा है  

अथ कन्याराशिस्वरूपमाह

पाण्डुर्द्विपात् स्त्री द्वितनुर्यमाशा निशा मरुच्छीत - समोदयमा
कन्याऽर्धशब्दा शुभभूमिवश्या रूताऽल्पसंगप्रसवा शुभा  


 कन्याराशि पाण्डु ( फीका पीला ) वर्ण , सीराशि , द्विःस्वभावसंज्ञक , दक्षिणदिशा का स्वामी , रात्रिबली , वायुतत्व , शीतलस्वभाव , समोदय , भूमिचारी , थोड़ा शब्द करने वाला , पवित्र भूमिचारी , शुभराशि , वैश्यवर्ण , रूक्ष ( कान्ति रहित ) , थोड़ी सन्तान वाली , शुभराशि है  


अथ तुलाराशिस्वरूपमाह

पुमांश्चरश्चित्र - समोदयोष्णः प्रत्यङ मरुत् स्निग्ध - रवोन - वन्यः
स्वल्पप्रजासङ्गम - शूद्र उग्रस्तुलो धुवीय द्विपदः समानः  

 तुलाराशि पुरुष , चरसंज्ञक , चित्रवर्ण , समोदय , गर्मप्रकृति वाला , पश्चिम दिशा का स्वामी , वायुतत्व , चिकना , थोड़ा शब्द वाला , वनचर , थोड़ी प्रजा सङ्ग में है जिसे ऐसा , शूद्र वर्ण , कर राशि , दिनबली , द्विपद , समान ( तो बहुत बड़ा तो बहुत छोटा ) ऐसा है  


अथ वृश्चिकराशिस्वरूपमाह -

स्थिरः सितः स्त्री जलमुत्तरेशो निशारवोनो बहुपात् कफी  
समोदयो वारिचरोऽतिसङ्गप्रजः शुभः स्निग्धतनुद्धिजोऽलिः  

 वृश्चिकराशि - स्थिरसंज्ञक , स्वच्छवर्ण , स्त्रीराशि , जलतत्त्व , उत्तर दिशा का स्वामी , रात्रिबली , थोड़ा शब्द वाला , अधिक पांव वाला , कफात्मक , समोदय जल चर , बहुत प्रजा है साथ जिसे ऐसा , शुभराशि , चिकनी कान्ति वाला , बाहर वर्ण ऐसा है |


अथ धनराशिस्वरूपमाह -

ना स्वर्णभा शैल - समोदयोऽतिशब्दो दिनं प्राग दृढ - रूक्ष - पीतः
राजोपण - पित्तो धनुररूपसूतिसंगो विभूतिति पदोऽग्निरुनः  

 धनु राशि , पुरुष है , सोने के समान वर्ण वाला है पर्वतचारी , समोदय जादे शब्द करने वाला , दिन में बली , पूर्व दिशा का स्वामी , मजत शरीर है , कान रहित है पीला वर्ण है क्षत्रिय जाति , गर्म स्वभाव वाला , थोड़ी सन्तान वाला द्विःस्वभाव , और अमितत्व , फर संज्ञक है  


अथ मकरराशिस्वरूपमाह

मृगश्चरः माऽर्धरयो यमाशा - स्त्री - पिङ्ग - रूक्षः शुभ - मि - शीतः
स्वल्पप्रजासङ्ग - समीर - रात्रिरादौ चतुष्पाद् विषमोदयो विट्

मकरराशि - चरसंज्ञकः , भूमितरव , थोड़े शब्द वाला , दक्षिण दिशा का स्वामी , स्त्री राशि , पीला वर्ण , कास्ति रहित , शुभराशि , भूमिचारी , शीतलस्वभाव वाला , थोड़ी है प्रजा संग में जिसको ऐसा , पायुतश्व , रात्रि बली , पूर्वार्ध में चतुष्पा ( उत्तराध द्विपद ) विषमोदय , वश्यवर्ण ऐसा होता है  


अथ कुम्भराशिस्थरूपमाह

कुम्भोऽपदो ना दिन - मध्यसङ्गप्रसूः स्थिरः कषुर - वन्य - वायुः  
स्निग्धोष्ण - खण्डस्वर - तुल्यथातुः शद्रः प्रतीची विषमोदयोगः

कुम्भराशि चरण हीन है , पुरुषराशि , दिनबली , मामूली थोड़ी है सजा में प्रजा जिसको ऐसा , और स्थिर संज्ञक , चित्रवर्ण , वनचर , वायुतत्व , चिकनी कान्ति , गर्मस्वभाव का , थोड़ा शब्द वाला , वात पित्त कफ तीनों समान वाला , शूद्र वर्ण , पश्चिमदिशा का स्वामी , विषमोदय , क्रूरसंज्ञक , ऐसा है  


अथ मीनराशिस्वरूपमाह

मीनोऽपदः स्त्री कफ - वारि - रात्रि - निःशब्द - बभ्रद्वितनुर्जलस्थः
स्निग्धोऽतिसङ्गप्रसोऽपि विप्रः शुभोत्तराशेड् विषमोदयश्च |

मीनराशि चरणरहित है , स्त्री राशि , कफात्मक , जलतत्व , रात्रिबली , शब्दहीन , न्यौले के समान भूरा वर्ण , द्विःस्वभाव , जलचर , चिकना और अधिक सन्तान युक्त , ब्राह्मण वर्ण , शुभराशि , उत्तरदिशा का स्वामी , विषमोदय , ऐसा है


                                                                       जुगल व्यास 


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HAR MAHADEV

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