Tuesday, 31 March 2020

ज्योतिष क्या है ?

                                                               ज्योतिष

अप्रत्यक्षाणि शास्त्राणि विवादस्तत्र केवलम् |

 प्रत्यक्षं ज्योतिषं शास्त्रं चन्द्रार्को यत्र साक्षिणौ ||

अभिप्राय यह है कि अन्य शास्त्रो का प्रत्यक्षीकरण सुलभ नहीं है, परन्तु जयोतिष शास्त्र प्रत्यक्ष शास्त्र है। इसकी प्रामाणिकता के एकमात्र साक्षी सूर्य और चन्द्र हैं।

फलित ज्योतिष

 उस विद्या को कहते हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखनेवाली विद्या है। इस शब्द से यद्यपि गणित (सिद्धांत) ज्योतिष का भी बोध होता है, तथापि साधारण लोग ज्योतिष विद्या से फलित विद्या का अर्थ ही लेते हैं।

ग्रहों तथा तारों के रंग भिन्न-भिन्न प्रकार के दिखलाई पड़ते हैं, अतएव उनसे निकलनेवाली किरणों के भी भिन्न भिन्न प्रभाव हैं। इन्हीं किरणों के प्रभाव का भारत, बैबीलोनिया, खल्डिया, यूनान, मिस्र तथा चीन आदि देशों के विद्वानों ने प्राचीन काल से अध्ययन करके ग्रहों तथा तारों का स्वभाव ज्ञात किया। पृथ्वी सौर मंडल का एक ग्रह है। अतएव इसपर तथा इसके निवासियों पर मुख्यतया सूर्य तथा सौर मंडल के ग्रहों और चंद्रमा का ही विशेष प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी विशेष कक्षा में चलती है जिसे क्रांतिवृत्त कहते हैं। पृथ्वी फलित ज्योतिष उस विद्या को कहते हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखनेवाली विद्या है। इस शब्द से यद्यपि गणित (सिद्धांत) ज्योतिष का निवासियों को सूर्य इसी में चलता दिखलाई पड़ता है। इस कक्षा के इर्द गिर्द कुछ तारामंडल हैं, जिन्हें राशियाँ कहते हैं। इनकी संख्या है। मेष राशि का प्रारंभ विषुवत् तथा क्रांतिवृत्त के संपातबिंदु से होता है। अयन की गति के कारण यह बिंदु स्थिर नहीं है। पाश्चात्य ज्योतिष में विषुवत् तथा क्रातिवृत्त के वर्तमान संपात को आरंभबिंदु मानकर, 30-30 अंश की 12 राशियों की कल्पना की जाती है। भारतीय ज्योतिष  में सूर्यसिद्धान्त आदि ग्रंथों से आनेवाले संपात बिंदु ही मेष आदि की गणना की जाती है। इस प्रकार पाश्चात्य गणनाप्रणाली तथा भारतीय गणनाप्रणाली में लगभग 23 अंशों का अंतर पड़ जाता है। भारतीय प्रणाली निरयण प्रणाली है। फलित के विद्वानों का मत है कि इससे फलित में अंतर नहीं पड़ता, क्योंकि इस विद्या के लिये विभिन्न देशों के विद्वानों ने ग्रहों तथा तारों के प्रभावों का अध्ययन अपनी अपनी गणनाप्रणाली से किया है। भारत में 12 राशियों के 27 विभाग किए गए हैं, जिन्हें नक्षत्र कहते हैं। ये हैं अश्विनी, भरणी आदि। फल के विचार के लिये चंद्रमा के नक्षत्र का विशेष उपयोग किया जाता है।                                                                         JUGAL VYAS

9 Comments:

At 31 March 2020 at 02:36 , Blogger Tvs Ganpati motors chawand said...

Nice work

 
At 31 March 2020 at 02:39 , Blogger Tvs Ganpati motors chawand said...

Nice post

 
At 31 March 2020 at 03:22 , Anonymous Anonymous said...

Nice work

 
At 31 March 2020 at 08:03 , Blogger Unknown said...

👍👍🤩👍👍

 
At 31 March 2020 at 08:54 , Blogger Nakul Vyas said...

Interesting

 
At 31 March 2020 at 08:58 , Blogger Unknown said...

Suprb 👌👌

 
At 2 April 2020 at 01:56 , Blogger Astro vyas said...

!!धन्यवादा: !!
!!जय श्रीमन्नारायाण!!
आपका स्नेहभाव हम पर एेसे ही बना रहे ।।
jugalvyas

 
At 2 April 2020 at 03:39 , Anonymous Anonymous said...

Nice work

 
At 8 April 2020 at 01:33 , Blogger Unknown said...

#Adorable_work_bhi_ji

 

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HAR MAHADEV

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