Wednesday, 19 October 2022

गणपति लक्ष्मी स्तोत्र | इसके पाठ से लक्ष्मीजी घर और शरीर को छोड़कर कभी नहीं जाती | Ganesh lakshmi |

गणपति लक्ष्मी स्तोत्र | इसके पाठ से लक्ष्मीजी घर और शरीर को छोड़कर कभी नहीं जाती | Ganesh lakshmi |


गणेश लक्ष्मी श्रीगणपतिस्तोत्रम् हिंदी अर्थ सहित

ॐ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्यप्रदायिने ।

दुष्टारिष्टविनाशाय पराय परमात्मने ॥ १॥

सम्पूर्ण सौख्य प्रदान करने वाले सच्चिदानन्द स्वरुप विघ्नराज गणेश को नमस्कार है, जो दुष्ट अरिष्टग्रहों का नाश करने वाले परात्पर परमात्मा हैं ।

लम्बोदरं महावीर्यं नागयज्ञोपशोभितम् ।

अर्धचन्द्रधरं देवं विघ्नव्यूहविनाशनम् ॥ २॥

जो महापराक्रमी, लम्बोदर, सर्पमय, यज्ञोपवीत से सुशोभित अर्धचन्द्रधारी और विघ्न व्यूह का विनाश करने वाले हैं, उन गणपति की मैं वंदना करता हूँ ।

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्बाय नमो नमः ।

सर्वसिद्धिप्रदोऽसि त्वं सिद्धिबुद्धिप्रदो भव ॥ ३॥

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्ब को नमस्कार हैं । भगवान् आप सब सिद्धियों के दाता हैं, आप हमारे लिए सिद्धि – बुद्धिदायक हैं ।

चिन्तितार्थप्रदस्त्वं हि सततं मोदकप्रियः ।

सिन्दूरारुणवस्त्रैश्च पूजितो वरदायकः ॥ ४॥

आपको सदा ही मोदक प्रिय है, आप मन के द्वारा चिन्तित अर्थ को देनेवाले हैं, सिन्दूर और लाल वस्त्र से पूजित होकर आप सदा वर प्रदान करते हैं।

इदं गणपतिस्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः ।

तस्य देहं च गेहं च स्वयं लक्ष्मीर्न मुञ्चति ॥ ५॥

जो मनुष्य भक्तिभाव से युक्त हो एवं इस गणपति स्तोत्र का पाठ करता है, स्वयं लक्ष्मी उसके देह – गेह को नहीं छोड़ती।

इति श्री गणेश लक्ष्मी श्रीगणपतिस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ।


गणेश लक्ष्मी श्रीगणपतिस्तोत्रम्

श्री गणेशाय नमः ।

ॐ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्यप्रदायिने ।

दुष्टारिष्टविनाशाय पराय परमात्मने ॥ १॥


लम्बोदरं महावीर्यं नागयज्ञोपशोभितम् ।

अर्धचन्द्रधरं देवं विघ्नव्यूहविनाशनम् ॥ २॥


ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्बाय नमो नमः ।

सर्वसिद्धिप्रदोऽसि त्वं सिद्धिबुद्धिप्रदो भव ॥ ३॥


चिन्तितार्थप्रदस्त्वं हि सततं मोदकप्रियः ।

सिन्दूरारुणवस्त्रैश्च पूजितो वरदायकः ॥ ४॥


इदं गणपतिस्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः ।

तस्य देहं च गेहं च स्वयं लक्ष्मीर्न मुञ्चति ॥ ५॥


इति श्रीगणपतिस्तोत्रम् (२) सम्पूर्णम् ।

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Sunday, 30 January 2022

किस वार को कौनसा तिलक लगाए ? तिलक के चमत्कारिक उपाय


 

🌷ज्योतिष के अनुसार यदि तिलक धारण किया जाता है तो सभी पाप नष्ट हो जाते है सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव और अन्य मतों के अलग-अलग तिलक होते हैं।

🌷चंदन का तिलक लगाने से पापों का नाश होता है, व्यक्ति संकटों से बचता है, उस पर लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है, ज्ञानतंतु संयमित व सक्रिय रहते हैं।

🌷तिलक कई प्रकार के होते हैं - मृतिका, भस्म, चंदन, रोली, सिंदूर, गोपी आदि।
🚩यदि वार अनुसार तिलक धारण किया जाए तो
उक्त वार से संबंधित ग्रहों को शुभ फल देने वाला बनाया जा सकता है।
सोमवार के दिन कौनसा तिलक लगाए?
https://youtube.com/shorts/9f-wAjP7g6I?feature=share

मंगलवार के दिन कौनसा तिलक लगाए?
https://youtube.com/shorts/C5IOKKSf4Pw?feature=share
बुधवार के दिन कौनसा तिलक लगाए?
https://youtube.com/shorts/SKZGwVewxrA?feature=share

गुरुवार के दिन कौनसा तिलक लगाए?
https://youtube.com/shorts/X_M1xv-XfJk?feature=share

शुक्रवार के दिन कौनसा तिलक लगाए?
https://youtube.com/shorts/MWVyecLgZK4?feature=share

शनिवार के दिन कौनसा तिलक लगाए?
https://youtube.com/shorts/MWVyecLgZK4?feature=share

रविवार के दिन कौनसा तिलक लगाए?
https://youtube.com/shorts/HZbdVf883hk?feature=share

Tuesday, 15 December 2020

shrikrishnashram bolundra।।श्री कृष्णाश्रम,बोलुन्दरा।।

Friday, 16 October 2020

नवरात्री नवदुर्गा स्वरूप

१ नवरात्री नवदुर्गा स्वरूप भाग-1
https://youtu.be/LX14_aGXQGM

2नवरात्री का प्रथम दिन देवी शैलपुत्री भाग-2
https://youtu.be/uPU7GIZ6gSM

3 नवरात्री का द्वितीय दिन देवी ब्रह्मचारिणी का महात्म्य ,मन्त्र भाग-3
https://youtu.be/cOIaya1FC3k

4 नवरात्री  का तृतीय दिन देवी चंद्रघंटा का महात्म्य , मन्त्र भाग- 4
https://youtu.be/V8FLarS4Dws

5नवरात्री का चतुर्थ दिन देवी कूष्माण्डा का महात्म्य, मन्त्र भाग -5
https://youtu.be/PACfbhVboxQ

6नवरात्री का पंचम दिन देवी स्कंदमाता का महात्म्य, मन्त्र भाग- 6
https://youtu.be/Kd9qRAL78ck

7.नवरात्री का षष्ठम दिन देवी कात्यायनी का महात्म्य,मन्त्र भाग -7
https://youtu.be/3iSYvGXarfY

8नवरात्री का सप्तम दिन देवी कालरात्री का महात्म्य,मन्त्र भाग- 8
https://youtu.be/pdHWQHZL8VA

9.नवरात्री का अष्टम दिन देवी महागौरी का महात्म्य,मन्त्र भाग- 9
https://youtu.be/pLbWEoKIAVs

10.नवरात्री का नवम  दिन देवी सिद्धिदात्री का महात्म्य,मन्त्र भाग-10

https://youtu.be/kFojhX-5B8s

11.विजयादशमी का महात्म्य भाग-11

https://youtu.be/9Kc8KM3-QX4

Tuesday, 22 September 2020

गणेशपञ्चरत्न स्त्रोतम् ।श्रीमत् शङ्कराचार्य रचित। आरोग्यता, निर्विघ्नता...

गणेशपञ्चरत्नम् 

मुदा करात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं
 कलाधरावतंसकं विलासिलोकरञ्जकम् 
अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं
नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम् ॥

नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं
नमत्सुरारिनिर्जरं नताधिकापदुद्धरम्
सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं 
 महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ।।२ ।।  

समस्तलोकशङ्करं निरस्तदैत्यकुञ्जरं 
दरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम् । 
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं 
नमस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ॥ ३ ॥

अकिंचनार्तिमार्जनं चिरन्तनोक्तिभाजनं
 पुरारिपूर्वनन्दनं सुरारिगर्वचर्वणम् । 
प्रपञ्चनाशभीषणं धनञ्जयादिभूषणं 
कपोलदानवारणं भजे पुराणवारणम् ॥४ ॥

 नितान्तकान्तदन्तकान्तिमन्तकान्तकात्मज मचिन्त्यरूपमन्तहीनमन्तरायकृन्तनम्
 हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां 
तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि संततम् ॥ ५ ॥

 महागणेशपञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं
 प्रगायति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् । 
अरोगतामदोषतां सुसाहिती सुपुत्रतां समाहितायुरष्टभूतिमभ्युपैति सोऽचिरात् ॥ ६ ॥ 

 श्रीमच्छङ्कराचार्यकृतं गणेशपञ्चरत्नस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।

Sunday, 9 August 2020

।।शुक्र स्तोत्रम्।। shukra stotram।।

    ॥ शुक्रस्तोत्रम् ॥

शुक्रः काव्यः शुक्ररेता शुक्लाम्बरधरः सुधीः ।
हिमाभः कुन्तघवलः शुभ्रांशुः शुक्लभूषणः ॥ १ ॥

नीतिज्ञो नीतिकृन्नीतिमार्गगामी ग्रहाधिपः ।
उशना वेदवेदाङ्गपारगः कविरात्मवित् ॥ २ ॥

भार्गवः करुणासिन्धुर्ज्ञानगम्यः सुतप्रदः ।
शुक्रस्यैतानि नामानि शुक्रं स्मृत्वा तु यः पठेत् ||3||

आयुर्धनं सुखं पुत्रं लक्ष्मी वसतिमुत्तमाम् ।
विद्यां चैव स्वयं तस्मै शुक्रस्तुष्टो ददाति च ॥ ४ ॥
  
               ॥ इति ॥ 


Wednesday, 5 August 2020

।।बृहस्पति स्तोत्रम् ।।

॥ बृहस्पतिस्तोत्रम् ॥

गुरुर्बृहस्पतिर्जीव: सुराचार्यो विदांवरः ।
वागीशो धिषणो दीर्घश्मश्रुः पीताम्बरो युवा ॥ १ ॥

सुधादृष्टिग्रहाधीशो ग्रहपीडापहारकः ।
दयाकरः सौम्यमूर्तिः सुरार्च्यः कुंकुमद्युतिः ॥ २ ॥

लोकपूज्यो लोकगुरुर्नीतिज्ञो नीतिकारकः । 
तारापतिश्चांगिरसो वेदवैद्यपितामहः ॥ ३ ॥

भक्त्या बृहस्पतिं स्मृत्वा नामान्येतानि यः पठेत् ।
अरोगी बलवान् श्रीमान्पुत्रवान् स भवेन्नरः ॥ ४ ॥

जीवेद्वर्षशतं मर्त्यो पापं नश्यति नश्यति ।
यः पूजयेद् गुरुदिने पीतगन्धाक्षताम्बरैः ॥ ५ ॥

पुष्पदीपोपहारैश्च पूजनीयं बृहस्पतिम् ।
ब्राह्मणान्भोजयेत्तस्य पीडाशान्तिर्भवेद् गुरोः ॥ ६ ॥

                          ॥ इति ॥